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Saturday, June 20, 2020

21 जून विश्व योग दिवस

आप सभी जानते हैं कि प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस मनाते हैं, योग का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। आज मैं आप लोगों को कुछ ऐसी सूक्ष्म योग क्रियाओं के बारे में बताना चाहता हूॅ जिससे आप सभी का मानसिक थकान, तनाव, सरदर्द, शरीर में कुछ हल्की दर्द आदि समस्याएं दूर हो जायेगा, आपको हल्का एवं ताजगी का अनुभव होगा।
आजकल हर आदमी कोई सरकारी, प्राईवेट या अन्य बिजनेश का काम करते हैं। कोई भी काम में 7 से 12 घंटे का समय देना पड़ता है, कई लोग ओवर टाईम काम करते हैं। ऐसे में खूद के लिये समय निकाल पाना बहुत मुश्किल होता है काम से घर वापस आने पर फ्रेश होकर या सोने के समय जब आप बिल्कुल सोने जा रहें हों तो सीधे लेटकर दोनों आंख बंद करे अपने अंदर एक बहुत ही चमकदार (सूर्य के समान) वास्तु की मन में कल्पना करें, इस काल्पनिक चमकिली वस्तु को अपने शरीर के सभी भागों में गुजारे जिस प्रकार मोबाईल का एंटीवायरस साफटवेयर मोबाइल के ममोरी को स्कैन करता है। पैर से लेकर सिर तक फिर सिर से लेकर पैर तक अपने शरीर को स्कैन करें यदि शरीर के किसी भाग में दर्द हो तो उस मन की कल्पना वाली चमकदार लाईट को दर्द वाली जगह पर स्थाई कुछ समय लगभग 1 मिनट तक रखने की कल्पना करें। यह पूरी प्रक्रिया 5 मिनट में पूरी हो जाती है।

 हम 5 मिनट के कई विडियो मोबाईल में देखकर घंटो गुजार देते हैं लेकिन मानसिक शांति नहीं मिल पाती है। जिनको अनिद्रा की शिकायत है उसे सोते समय करना चाहिये जिससे निद्रा आसानी से आ जाता है। इस 5 मिनट की सूक्ष्म योग क्रियाविधी से दिमाग शांत एवं शरीर बहुत ही हल्का महसूस होता है, ये मेरे स्वयं का अनुभव है। ऐसा करते समय अन्य विचारों को दिमाग में आने नहीं देना चाहिए। यह यौगिक विधी घर के किसी कमरे में बैठकर भी किया जा सकता है। अगर यह सूक्ष्म योग क्रिया अच्छा लगे तो कमेंट करके बताना। अपना ध्यान रखें। इसी के साथ बस इतना ही कहना चाहता हूंॅ- ‘‘ करें योग रहें निरोग‘‘

Thursday, June 18, 2020

व्यथा कथा



कोरोना महामारी की व्यथा कथा कुछ ऐसा रहा।
अंगारो से पैर उनके जलते रहे।
मजदूरों को गये सब छोड़ मालिक,
भूख से पेट जलते रहे।

 
श्रमिकों के परिवार, बच्चों तक ने झुका दिये लंबी रास्तों के सिर,
अंगारों से पैर उनके जलते रहे।
जन्मभूमि तक पहंूचने की ललक में,
रास्ते में कितने पथिक मरते रहे।

उद्योगों के कर्णधार, विश्वकर्मा, मेहनत के कर्मवीर, की दूर्दशा होते रहे,
नमन है उन कर्मवीर श्रमिकों को, जो देशहित में अपना श्रम बल देते रहे।
नमन है उन मानवता के रक्षकों को जो इनको राहों में भोजन, पानी देते रहे।




Wednesday, June 17, 2020

नमन

नमन है उन वीर सपूतों को जो देश हित मे प्राण गवाये है, 
नमन है उस देश की मिट्टी को जो ऐसे सपूत बनाये है।
नमन है उस मां को जो बेटे को शरहद भेज अपने दिल से लोहा मनवाये है।
नमन है उस पिता को जो ऐसे देश हित मे समर्पित  संस्कार दिलाये है। जो अपने बेटों को देश हित मे शरहद भेज अपने दिल से लोहा मनवाये है। 💐💐 शहीदों को अश्रुपूर्ण  श्रद्धांजलि और नमन।💐💐
🙏🙏🙏

वास्तविक शिक्षा


 

एक अधिकारी जो एक बार उत्तर प्रदेश की यात्रा पर गए। उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं। रास्ते में एक बाग के पास वे लोग रुके। बाग के पेड़ पर बया पक्षियों के घोसले थे। उनकी पत्नी ने कहा दो घोसले मंगवा दीजिए मैं इन्हें घर की सज्जा के लिए ले चलूंगी। उन्होंने साथ चल रहे पुलिस वालों से घोसला लाने के लिए कहा। पुलिस वाले वहीं पास में गाय चरा रहे एक बालक से पेड़ पर चढ़कर घोसला लाने के बदले दस रुपये देने की बात कहे लेकिन वह लड़का घोसला तोड़ कर लाने के लिए तैयार नहीं हुआ। अधिकारी द्वारा उसे दस की जगह पचास रुपए देने की बात कहे फिर भी वह लड़का तैयार नहीं हुआ। उसने अधिकारी से कहा साहब जी! घोसले में चिड़िया के बच्चे हैं शाम को जब वह भोजन लेकर आएगी तब अपने बच्चों को देख कर बहुत दुखी होगी इसलिए आप चाहे जितना पैसा दें मैं घोसला नहीं तोड़ सकता।

 

इस घटना के बाद उस अधिकारी को आजीवन यह ग्लानि रही कि जो एक चरवाहा बालक सोच सका और उसके अन्दर जैसी संवेदनशीलता थी इतने पढ़े.लिखे और आईएएस होने के बाद भी वे वह बात क्यों नहीं सोच सके उनके अन्दर वह संवेदना क्यों नहीं उत्पन्न हुई

उन्होंने कहा उस छोटे बालक के सामने मेरा पद और मेरा आईएएस होना गायब हो गया। मैं उसके सामने एक सरसों के बीज के समान हो गया। शिक्षा पद और सामाजिक स्थिति मानवता के मापदण्ड नहीं हैं।

 

प्रकृति को जानना ही ज्ञान है। बहुत सी सूचनाओं के संग्रह से कुछ नहीं प्राप्त होता। जीवन तभी आनंददायक होता है जब ज्ञानएसंवेदना और बुद्धिमत्ता हो।

                             💜🙏🙏🙏💜

Tuesday, June 16, 2020

जियो तो ऐसे

दिन भर की दुःख, तकलीफ 
       और निराशा को,
बेफिक्ररी की पोटली में बाँध 
        दूर फेंक देना, 
उम्मीद, आशाओं और खुशियों 
       के सपनों को,
 तकिये के नीचे रखकर सोना
       आने वाली सुबह, 
 संकल्प, विश्वास और उर्जा 
         के मोतियों से
गूँथी ममतामयी, संवेदनशील और 
          उत्साही माला लिए 
               स्वागत करेगी ।
      
        🙏🙏

माँ के लिए दो शब्द

माँ, 
      वात्सल्य और  प्रेम की मूर्ति है तू 
     मुस्कुराहट भोर की, 
      ढलती बेला की
      गोधुली है तू...                                         
       माँ, मैं तेरे माथे की बिंदी 
        तू  है मेरी  प्यारी परी,
         अगर मैं तेरा भूगोल  हूँ 
         तो तू मेरा पूरा  ब्रहमांड है।
          मैं तेरी गणित हूँ 
         तूने सरल  किये हर सवाल मेरे।
          मैं तेरी भाषा हूँ 
         तूने दिया शब्द और भाव मुझे ।
           मैं तेरी शान हूँ , 
           तू मेरा अभिमान है ।
      🌷🌹ममतामयी माँ को समर्पित🌷🌹

जीना इसी का नाम है।

आँसुओं की चाशनी में डूबोई  जिन्दगी
कोजब सफलता की मिठास मिलती है  

     बडा मीठा जायका देती है, 
यादों की कडवाहट को नमकीन बना देती है तब 
जिन्दगी किसी  मिठाई से ज्यादा मीठी लगती है ।
 भोर का अभिवादन 🙏💐🙏

Nayi Subah Khul ke Jiye.



एक नयी सुबह ....
मेरे दोस्त मुश्किल परिस्थितियों में जीवन जीना सीखिए ,

सुना है मुश्किलों की स्याही से जीवन की किताब लिखी जाती है,
जब तक  यह विपत्ति की काली रात हम पार नहीं करेंगे,

तब तक हमें  वो उम्मीद की चमकती सुबह नहीं मिलेगी
स्वागत है हर नयी सुबह का होठों पर मुसकान लिए,
चलो खुशियों की दुकान सजाते हैं फिर अपनों के लिए
खुशी,संकल्प, विश्वास प्रेम के सलमा सितारों जडी बूटियों की चुनरिया ओढे

वह नयी सुबह तो आयेगी
नयी सुबह तो आयेगी
सुबह तो आयेगी
आयेगी  .....।

🙏💐 सुबह का अभिवादन 💐🙏

Jine ka Fanda.

यूं ही नहीं चला आता ये सूरज हर रोज अँधेरा
 निराशा और सन्नाटे की दिवार को फांद कर आता है

 हमारे लिए आशाओं के उजालों का पिटारा
 लिए तो फिर उठिए कीजिए उसका अभिषेक आभार और सम्मान,,
शुभ सुप्रभात......


Jine ki rah.,,,

बचपन........
बचपन के खेल कोई फिर से खिला दे
उम्र मेरी लेले और मुझे बच्चा बना दे।

जब कागज की कश्ती थी पानी का
              किनारा था,
पानी की चाय थी झूठी-मूठी का
             खाना था।
कोप भवन में जाकर अपनी बात
             मनवाना था,


खेलने की मस्ती थी ये दिल भी
             आवारा था ।
कहाँ  आ गए  इस  समझदारी के
              दलदल में ,
वो  नादान  बचपन  भी  कितना
              प्यारा था ।
बचपन की मासूमियत न जाने कहाँ
               छूट गई है ,
वक्त से पहले ही वो रूठ कर दूर
                  चलीगई है ।

मेरे रूठे हुए बचपन को कोई मना कर
                 बुला दे ,
कट्टी-चुप्पी वाले दिन काश फिर  मुझे
                  दिला दे ।
       आज का दिन मंगलमय हो

हॉस्टल वार्डन के 669 पदों में भर्ती Chhatrawas Adhikshak Avm Adhikshika Ki Bharti Post 669

यदि आप स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत आवासीय विद्यालय  छात्रावास अधीक्षक एवं अधीक्षिका के पदों में भर्ती का इंतजार कर रहे है तो आप लोगो के लि...